प्रश्न - काव्य किसे कहते हैं ?
उत्तर - आचार्य विश्वनाथ के अनुसार-" रसात्मकं वाक्यं काव्यं " अर्थात रसयुक्त वाक्य ही काव्य है । "
आचार्य जगन्नाथ के अनुसार -" रमणीय अर्थ के प्रतिपादक धर्म को काव्य कहते हैं।"
आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार - " जो उक्ति ह्रदय में कोई भाव जगा दे और उस वस्तु तथ्य की मार्मिक भावना में लीन कर दे , वह काव्य है ।"
जयशंकर प्रसाद " आत्मा की संकल्पनात्मक अनुभूति काव्य है"।
अतः यह कहा जा सकता है कि भाषा के माध्यम से सौन्दर्यानुभूति की अभिव्यक्ति काव्य है।
जयशंकर प्रसाद " आत्मा की संकल्पनात्मक अनुभूति काव्य है"।
अतः यह कहा जा सकता है कि भाषा के माध्यम से सौन्दर्यानुभूति की अभिव्यक्ति काव्य है।
प्रश्न - काव्य के कितने भेद हैं ?
उत्तर - काव्य के दो भेद हैं - 1. श्रव्य काव्य 2. दृश्य काव्य
1. श्रव्य काव्य :- ऐसे काव्य जिनका आनंद पढ़कर या सुनकर लिया जाता है, उन्हें श्रव्य काव्य कहा जाता है । जैसे - महाकाव्य, खंडकाव्य, मुक्तक काव्य, कहानी, उपन्यास आदि ।
श्रव्य काव्य के भी दो भेद हैं - 1. प्रबन्ध काव्य 2. मुक्तक काव्य
इसी प्रकार प्रबंध काव्य के दो प्रकार हैं - 1. महाकाव्य 2. खंडकाव्य
2. दृश्य काव्य :- ऐसा काव्य जिसका आनंद देखकर लिया जाता है, दृश्य काव्य कहलाता है । जैसे - नाटक, एकांकी, प्रहसन आदि ।
प्रश्न : - महाकाव्य किसे कहते हैं ? कोई चार महाकाव्यों के नाम लिखिए ।
उत्तर :- महाकाव्य एक ऐसी सर्गबध्द, छंदोबध्द रचना है जो एक सूत्र में बंधी रहती है और जिसमें मानव के सम्पूर्ण जीवन का उद्देश्यपूर्ण चित्रण होता है ।
महाकाव्यों के नाम -
रामचरित मानस ( तुलसीदास )
पद्मावत ( मलिक मोहम्मद जायसी )
कामायनी ( जयशंकर प्रसाद )
साकेत ( मैथिलीशरण गुप्त )
प्रश्न :- खण्ड काव्य किसे कहते हैं ? कोई चार खण्ड काव्यों के नाम लिखिए ।
उत्तर:- खण्ड काव्य एक सूत्र में बंधी, एकल छंद वाली ऐसी रचना है, जिसमें मानव जीवन के किसी एक खण्ड या पक्ष का चित्रण होता है ।
खण्ड काव्यो के नाम
पंचवटी ( मैथिलीशरण गुप्त )
जयद्रथ बध ( मैथिलीशरण गुप्त )
सुदामा चरित ( नरोत्तम दास )
तुलसीदास ( सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला )
प्रश्न :- मुक्तक काव्य किसे कहते हैं ? कोई चार उदाहरण लिखिए ।
उत्तर :- मुक्तक काव्य, विविध विषयों पर आधारित, उद्देश्यपूर्ण एक ऐसी रचना है, जो स्वयं में पूर्ण तथा स्वतंत्र होती है , जिसके पदों का पूर्वापर सम्बन्ध नहीं होता।
इसके भी दो भेद होते हैं - 1 . पाठ्य मुक्तक 2. गेय मुक्तक या प्रगीत।
1. पाठ्य मुक्तक :- विचार प्रधान , अलग-अलग विषयों पर लिखी गई कविताएँ , पाठ्य मुक्तक कहलाती हैं ।
2. गेय मुक्तक :- काव्य का वह रूप ,जो गीतात्मकता, आत्मपरकता, रागात्मकता और लयात्मकता से पूर्ण होता है, उसे गेय मुक्तक या प्रगीत की सज्ञा दी गई है । जैसे - जूही की कली ( निराला ),आंसू ( प्रसाद ) ।
मुक्तक काव्य के उदाहरण
कबीर के दोहे ( कबीरदास )
मीरा के पद ( मीरा बाई )
बिहारी सतसई ( बिहारी )
रहीम के दोहे ( रहीमदास )
प्रश्न :- महाकाव्य की कोई पांच विशेषताए या लक्षण बताइए ?
उत्तर :- महाकाव्य की विशेषताएँ -
1. महाकाव्य में नायक के सम्पूर्ण जीवन वृत्त का चित्रण होता है ।
2. महाकाव्य में आठ या आठ से अधिक सर्ग होते हैं ।
3. महाकाव्य में अनेक छंदों का प्रयोग होता है ।
4. महाकाव्य का नायक धीरोदात्त, आदर्श तथा मानवीय गुणों से परिपूर्ण होता है। इसका उद्देश्य महान होता है।
5. महाकाव्य में श्रंगार, शांत, करुण वीर रस प्रधान होता है शेष रस रस सहायक रसों के रूप में प्रयुक्त होते हैं ।
प्रश्न :- खण्ड काव्य की कोई पांच विशेषताए या लक्षण बताइए ?
उत्तर :- खण्ड काव्य की विशेषताएँ -
1. खण्ड काव्य में नायक के जीवन के किसी एक पक्ष का चित्रण होता है ।
2. खण्ड काव्य में एक ही सर्ग होता है ।
3. खण्ड काव्य में एक ही छंद का प्रयोग होता है ।
4. इस काव्य में शांत, श्रंगार और करुण में से कोई एक रस की प्रधानता होती है ।
5. खण्ड काव्य का भी उद्देश्य महान होता है ।
प्रश्न :-गद्य काव्य या चंम्पूकाव्य किसे कहते है ? इसके उदाहरण भी लिखिए ?
उत्तर :- गद्यकाव्य या चम्पूकाव्य गद्य एवं पद्य के मध्य की विधा है, इसमें गद्य के माध्यम से किसी भाव पूर्ण विषय की काव्यात्मक अभिव्यक्ति होती है ।
उदाहरण :-
साधना ( श्री रायकृष्ण दास )
छायापथ ( श्री रायकृष्ण दास )
पगला ( श्री रायकृष्ण दास )
संलाप ( श्री रायकृष्ण दास )
प्रवाल ( श्री रायकृष्ण दास )
विश्वधर्म ( श्री वियोगी हरि )
भावना ( श्री वियोगी हरि )
साहित्य देवता ( माखनलाल चतुर्वेदी )
भग्नदूत ( अज्ञेय )
भग्नदूत ( अज्ञेय )
प्रश्न :-आख्यानक गीत किसे कहते है ? इसके उदाहरण भी लिखिए ?
उत्तर :- आख्यानक गीत उद्देश्य परक रचना है, जिसमें पद्य शैली में लघु आख्यान या कथा ( कहानी ) वर्णित होती है । गेयता इसका प्रमुख गुण है । इसमें शौर्य, पराक्रम, त्याग, बलिदान, प्रेम, करुणा आदि भावों का सरस वर्णन होता है।
उदहारण -
झांसी की रानी ( सुभद्राकुमारी चौहान )
रंग में भंग ( श्री मैथिलीशरण गुप्त )
चंदेरी का जौहर ( आनन्द मिश्र )
महाराणा का महत्त्व ( जयशंकर प्रसाद )