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शनिवार, 26 नवंबर 2016

शब्द शक्ति

शब्द शक्ति

प्रश्न :- शब्द शक्ति किसे कहते हैं ? 

उत्तर :- शब्दों के  अंतर्निहित अर्थ को बोध कराने वाली शक्ति ,  शब्द शक्ति कहलाती  हैं।  दूसरे शब्दों में शब्दों  के विभिन्न अर्थ बताने वाले व्यापर या साधन को शब्द शक्ति कहते हैं । किसी सार्थक शब्द के तीन अर्थ निकलते हैं - वाच्यार्थ , लक्ष्यार्थ और व्यंग्यार्थ । 

प्रश्न :- शब्द शक्ति के कितने प्रकारहोते हैं ? उदाहरण  सहित समझाइए । 
उत्तर :- शब्द शक्ति के तीन  प्रकार हैं -  1. अभिधा   2. लक्षणा   3. व्यंजना 
1. अभिधा -  जिस शब्द शक्ति द्वारा किसी शब्द का सीधा एवं प्रचलित   अर्थ ज्ञात हो , उसे अभिधा शब्द शक्ति कहते हैं ।  इस अर्थ को वाच्यार्थ भी कहा जाता है । 
उदाहरण 
1. अपना घर सबको प्यारा लगता है ।  
2. मेरे पास एक गाय है । 
3. मेरा घर गंगा के किनारे पर बसा है । 
4. राजेश बीमार है । 
5. कौन के सुत ? बालि के , ( अंगद रावण संवाद ) 
6. चारु चन्द्र की चंचल किरणें खेल रही हैं जल- थल में।  

2. लक्षणा - जब किसी शब्द का सीधा या प्रचलित अर्थ न होकर  कोई अन्य लाक्षणिक अर्थ होता है,  तो वहाँ लक्षणा शक्ति की अभिव्यजना होती है। इस शब्द शक्ति में वाच्यार्थ या मुख्यार्थ अर्थ न होकर लक्ष्यार्थ  होता है। इसके चार भेद हैं - 1. रूढा लक्षणा   2. प्रयोजनवती लक्षणा  3. उपादान लक्षणा   4.  लक्षण- लक्षणा उदाहरण  
1. वीरू शेर है   
२. सारा घर मेला देखने गया है । 
3. मेरा घर गंगा पर बसा है । 
4. रमेश के कान नहीं है । 
5. है कहाँ वह वीर ? अंगद 'देवलोक बताइयो' । 
6. 'बालि बली' छल सों ,
     'भृगुनन्दन गर्व हरयो', 'द्विज दीन  महा'  । 

3. व्यंजना -  जब किसी शब्द के अनेक या विशिष्ट अर्थ निकलते हों  या व्यंजित होते हों , वहाँ व्यंजना शब्द शक्ति होती है ।  इसमें शब्द का व्यंग्यार्थ लिया जाता है । यह व्यंजना  दो प्रकार की होती है - शाब्दी व्यंजना   और आर्थी व्यंजना । 
उदाहरण 
1. सन्ध्या हो गई 
2. इंदौर मध्यप्रदेश का मुंबई है । 
3. रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून । 
    पानी गए न ऊबरे मोती, मानुष, चून ।। 
4. 'सिंधु तरयो उनको बनरा , तुम पै धनु रेख गई न तरी' ।
5. चरण धरत चिन्ता करत , चितवत चारों ओर । 
     सुवर्ण को खोझत फिरत कवि,व्यभिचारी, चोर । ।  
6. तुम तो सखा स्यामसुंदर के सकल जोग के ईश | 
7. कढ़िगौ अबीर पै अहीर तो कढ़ै नहीं।